संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन: पंचायत चुनाव में 'खेला', अधिकारियों पर FIR दर्ज
अनुरीत टाइम्स न्यूज | हरदोई
हरदोई जिले में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव-2021 के दौरान लोकतांत्रिक प्रक्रिया को ठेंगा दिखाने वाला मामला सामने आया है। टोंडरपुर ब्लॉक में चुनाव लड़ने से रोके गए एक प्रत्याशी की शिकायत पर तत्कालीन बीडीओ, आरओ, एडीओ पंचायत और बाबुओं के खिलाफ बेहटा गोकुल थाने में एफआईआर दर्ज की गई है।
क्या है पूरा मामला?
मझिला थाना क्षेत्र के चेना गांव निवासी मुनेश्वर पुत्र चित्तर ने अदालत को बताया कि 6 जून 2021 को उन्होंने टोंडरपुर ब्लॉक मुख्यालय पर नामांकन दाखिल करने के लिए ज़मानत राशि जमा की थी। लेकिन वहां तैनात तत्कालीन बाबू अनूप दीक्षित ने उन्हें जमा रसीद नहीं दी।
मुनेश्वर का आरोप है कि उन्होंने कई बार रसीद मांगी, लेकिन बीडीओ ऋषिपाल सिंह, आरओ हरदयाल अहिरवार, एडीओ पंचायत आशीष बाजपेई, और बाबू ब्रजेश मिश्रा समेत संबंधित अधिकारी टालमटोल करते रहे।
रिश्वत की मांग और गाली-गलौज का आरोप
पीड़ित का दावा है कि उनसे 50 हज़ार रुपये की रिश्वत मांगी गई, और जब उन्होंने पैसे देने से इनकार किया तो उन्हें और उनके समर्थकों — हेतम, नन्हे, रेखा, जगदीश, ज़ाकिरा, रामलड़ैती, ममता देवी, सुनील, मेंहदी हसन और आशा देवी — को गाली-गलौज कर नामांकन कक्ष से भगा दिया गया।
थाने से लेकर एसपी तक लगाई गुहार, फिर अदालत का दरवाज़ा खटखटाया
नामांकन दाखिल न कर पाने से आहत मुनेश्वर ने पहले थाना और एसपी कार्यालय में शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। आखिरकार उन्होंने अदालत की शरण ली।
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) की अदालत ने मामले को गंभीर मानते हुए धारा 166 (कानून के विरुद्ध कार्य करने वाला लोक सेवक) और धारा 504 (शांति भंग करने के इरादे से अपमान) के तहत मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया।
अब क्या हो रहा है?
अदालत के आदेश पर बेहटा गोकुल थाने में एफआईआर दर्ज कर ली गई है और पुलिस ने जांच शुरू कर दी है।
लोकतंत्र पर सवाल
यह मामला न सिर्फ एक व्यक्ति के संवैधानिक अधिकारों के हनन का है, बल्कि पूरे चुनावी तंत्र की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े करता है। यदि आरोप सही साबित होते हैं तो यह लोकतंत्र में एक गंभीर गिरावट का संकेत है।

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